पेड़ लगाने वाले को धन्यवाद

वियतनाम के माई चाऊ गाँव की हरी-भरी वादियों में, जहाँ धुंध लुढ़कती पहाड़ियों को गले लगा रही थी, छोटा लीम और उसकी दादी बा लाॅन एक पुराने आम के पेड़ के नीचे बैठे थे। डालियाँ धीरे-धीरे झूल रही थीं, सुनहरे फलों से लदी हुई।

जैसे ही लीम ने एक पका हुआ आम खाया, वो मुस्कुराया। "बा, ये सबसे मीठे आम हैं जो मैंने कभी खाए!"


बा लाॅन हँसी, उनके झुर्रियों भरे हाथ उनकी गोद में रखे थे। "होने ही चाहिए, बच्चे। ये पेड़ तुमसे भी पुराना है। इसे तुम्हारे दादाजी ने कई साल पहले लगाया था।"

लीम ने हैरानी से ऊपर देखा। "दादाजी ने ये पेड़ लगाया था?"

उन्होंने सर हिलाया। "हाँ, और उन्होंने कभी इसके फल नहीं चखे। उन्होंने इसे ये जानते हुए लगाया था कि एक दिन तुम और दूसरे यहाँ बैठकर इनका मज़ा लेंगे। इसीलिए, जब हम फल खाते हैं, तो हमें उस इंसान को याद करना चाहिए जिसने पेड़ लगाया था।"

लीम ने एक और टुकड़ा खाया, लेकिन इस बार, उसका स्वाद अलग था – सिर्फ़ मीठा नहीं, बल्कि अर्थपूर्ण। उसने चारों ओर धान के खेतों, लकड़ी के घरों और गाँव को छाँव देने वाले कई पेड़ों को देखा। हर एक उन लोगों का तोहफ़ा था जो उनसे पहले आए थे।

उस दिन से, जब भी लीम कोई फल खाता, वो एक खामोश शुक्रिया कहता – सिर्फ़ फल के लिए नहीं, बल्कि उन हाथों के लिए जिन्होंने इसे मुमकिन बनाया था।