शिक्षा से बदलाव
प्राचीन सामोस, ग्रीस में, जहाँ एजियन सागर की लहरें सुनहरे तटों को छूती थीं, वहाँ निकोलस नामक एक गुणी शिक्षक रहते थे। वह मानते थे - "शिक्षा समाज की नींव है।"
एक दिन, कुछ लोगों को मंदिर की संपत्ति चुराने के अपराध में पकड़े गए । गुस्साए लोग चाहते थे कि उन्हें कठोर दंड मिले।
निकोलस खड़े हुए और बोले, "अगर हम आज इन्हें दंडित कर भी दें, तो क्या भविष्य में कोई अपराधी नहीं होगा?"लोग चुप रहे।
मेरा मानना है कि, "अगर बचपन से इनमें सहानुभूति, ईमानदारी, दया और त्याग जैसे मानवीय मूल्य सीखे होते, तो क्या वे यह रास्ता अपनाते ?"
एक माँ ने पूछा, "तो हमें क्या करना चाहिए?"
निकोलस मुस्कुराए। "अपने बच्चों को शिक्षित करो, ताकि बड़े होकर उन्हें दंडित करने की जरूरत ही न पड़े।"
इसके बाद, सामोस में शिक्षा को प्राथमिकता दी गई। वर्षों बाद, अपराध लगभग शून्य हो गए और यह सिद्ध हो गया - "मनुष्य का बुनियादी ज्ञान स्कूलों से प्रारम्भ होता है।"